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Friday, November 2, 2012

टीचर हैं या फटीचर


        सर्वप्रथम मै सभी टीचर बंधुओं से इस लेख के लिए माफी मांगता हूँ | अपनी कलम के माध्यम से किसी कि बेइज्जती करना मेरा मकसद नहीं है | आप से मेरी एक विनती है कि आप लेख के शीर्षक के बारे में विचार कीजिये और लेख को पूरी तरह से पढ़े इसके बाद मन में कोई ख्याल लाइये तो शायद मै अपने मकसद में सफल हो पाऊ | किसी टीचर से अगर ये फटीचरपन मिल जाते हैं तो उनसे विशेष रूप से क्षमा चाहता हूँ और ऐसे किसी भी व्यक्ति की किसी टीका टिप्पणी का कोई खास असर हम पर नहीं पडने वाला है |

       सबसे पहले अपना संक्षिप्त विवरण देना चाहता हूँ | आने वाली दीपावली को हिन्दी महीने के हिसाब से इक्कीसवीं साल में प्रवेश कर जाऊंगा | वर्तमान समय में इंजीनियरिंग का छात्र हूँ | देश दुनिया को बहुत तो नहीं समझ पाया हूँ लेकिन जितना देखा सुना उससे बहुत ज्यादा संतुष्ट नहीं हूँ | बचपन में दादा और दादी जी जब कहानी सुनाते थे तो दुनिया को देखने की बड़ी इच्छा होती थी लेकिन वो सब कहानी थी इस बात की समझ तब नहीं थी | वर्तमान में दुनिया देखने की तो इच्छा नहीं होती हैं लेकिन अपनी जिम्मेदारी समझकर अपने कर्तव्य को आज भी मन से निभा रहा हूँ | हमेशा प्यार मोहब्बत की बातें लिखने की आदत है ऐसे में मुझे किसी गंभीर विषय पर लेख लिखने में बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है | फिलहाल परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको बदलते रहना चाहिए |  समस्याएं बहुत सी हैं लेकिन एक समस्या से अवगत कराता हूँ |

       टीचर हिंदी भाषा में बोले तो शिक्षक और अगर हम अपनी भाषा में बोले तो गुरु | गुरु शब्द का मतलब होता है अंधकार से प्रकाश की तरफ ले जाने वाला | अगर गुरु ही अन्धकार में हो तो चेलों का क्या होगा ? वैसे मै इन कलियुगी हब्शी राक्षसों के लिए गुरु शब्द का प्रयोग करके उसे अपवित्र नहीं करना चाहूँता हूँ |

       मै आज के युवा शिक्षक के बारे में बात कर रहा हूँ जो कि अपनी मान मर्यादा खो बैठे हैं | वैसे पढ़ाना लिखाना इनके वजूद से बहुत दूर है | कभी कभी ये सोचता हूँ कि क्या इनके शिक्षक ने भी इनके साथ यहीं किया है जो ये हमारे साथ कर रहे हैं | कभी मैंने सुना था कि क्लास में सिटीबाजी करने बच्चे आते हैं लेकिन ठीक उल्टा चल रहा है आज के कॉलेजों में | आज कॉलेजों में बच्चे नहीं टीचर सिटीबाजी करने के लिए आते हैं | यकीन करने वालों की संख्या हो सकती है कम हो | कुछ लोगों के दिमाग में यह बात उठ रही होगी कि हमे कैसे पता तो शंका समाधान कर ही लीजिए , अभी नहीं करेंगे तो का जब कालेज लाइफ गुजर जायेगी त करेंगे हमारा तो अभी उम्र समय ही खेलने खाने का है |

       अभिभावक अपने बच्चों को कॉलेजों में उन्हें अपना करियर बनाने के लिए भेजते हैं न कि करियर बिगाडने के लिए | अगर उनको उनके करियर को लेकर उन्हें कोई ब्लैकमेल करे तो शायद उन्हें कर सकता है क्यूंकि उनका मेन मकसद ही वहीँ होता है | वैसे ब्लैकमेल का मतलब ही होता है गलत तरीके से अपना मतलब निकालना | हद तो तब हो जाती है जब टीचर छिछोरापन्थी पर उतर आता है | छिछोरापन्थी किसे कहते हैं शायद सब समझ ही रहे होंगे फिर भी हिंट के तौर पर आप सभी को बता दूँ कि आज के समय में कॉलेजों में हमारे बच्चे सुरक्षित नहीं है खास करके लड़कियाँ |

       आपके सामने उनके ब्लैकमेल करने के कुछ तरीकों को बताता हूँ | कोई प्रोजेक्ट हेड बनकर ब्लैकमेल कर रहा है तो कोई बच्चों को इंटरनल मार्क्स की धमकी देकर | कोई कहता है कि मै तुम्हारा प्रोजेक्ट प्रिपयेर करवा दूंगा तो कोई कुछ कहकर | वैसे इन छिछोरों की सारी सहानुभूति लड़कियों के साथ ही होती है | ऐसी स्थिति में दो ही बातें संभव है या तो वो मानते हैं कि लड़कों को सब कुछ आता है और लड़कियों को कुछ भी नहीं या वो लड़कियों में ज्यादा इंटरेस्ट रखते हैं और लड़कों में कम | वैसे एक बात यह भी हो सकती है कि वो भी रिजर्वेशन के रूल्स एंड रेगुलेशन फालो करते हो |

       वैसे अगर कोई कॉलेज आता है तो केवल सीखने की इच्छा से आता है अगर उसे सब कुछ आता ही होता तो वो आता क्यूँ? वो चाहे लड़का हो या लड़की यह दोनों ही कंडीशन मे वैलिड है | तब वो ऐसा क्यूँ करते है यह बात समझ में नहीं आती है | फिलहाल ऐसी स्थिति में मै ऐसे टीचरों को फटीचर कहने के सिवा और कुछ कह ही नहीं सकता हूँ |

       समाप्ति से पहले एक बार फिर माफी चाहता हूँ उनसे जिसे ये पढकर बुरा लगा |

                                                                        धन्यवाद 

1 comment:

  1. bhai accha laga jaan k kuch lok k pas aaj bhi kalam k takat hai.....hats off

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